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लेखनी कहानी -07-Jun-2022 क्या सोचा और क्या निकले

जिसे बब्बर शेर समझ रहे थे 

वो तो बहुत ही कमजोर निकला 
56 इंची छाती कहीं दिखी नहीं 
"नानी याद दिला देंगे" जुमला निकला 

जिन्हें "हिन्दू हृदय सम्राट" कहा हमने
वो जेहादियों के आगे नतमस्तक पाया 
अपने ही लोगों को काश्मीर से लेकर 
बंगाल तक वह कभी बचा नहीं पाया 

कहीं संघर्ष दिखा नहीं लोगों को
दिखा हरदम ही आत्म समर्पण 
ऐसे नेतृत्व से क्या रखें उम्मीदें
ठगे से बैठे हैं सब जण गण मण 

सत्ता की खातिर इतना भीरूपन 
कुछ तो मान रखा होता मां का 
"बाबा" से ही हैं बस अब उम्मीदें 
उसमें दिखता है माद्दा लड़ने का 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
6.6.22 



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4 Comments

Kaushalya Rani

08-Jun-2022 05:27 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

07-Jun-2022 10:59 AM

बहुत खूबसूरत

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Sona shayari

07-Jun-2022 08:15 AM

Bahut khub

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